स्मृति की रेखाएँ | Smriti ki Rekhayen

- श्रेणी: उपन्यास / Upnyas-Novel साहित्य / Literature
- लेखक: महादेवी वर्मा - Mahadevi Verma
- पृष्ठ : 154
- साइज: 27 MB
- वर्ष: 1948
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दो शब्द :
इस पाठ में महादेवी वर्मा ने एक भक्तिन की जीवन यात्रा का वर्णन किया है, जो एक साधारण और गरीब परिवार से संबंधित है। भक्तिन का नाम लक्ष्मी है, लेकिन उसका जीवन संघर्ष और दुखों से भरा हुआ है। वह एक अनाम धन्या गोपालिका की बेटी है, और उसकी जिंदगी में कई कठिनाइयाँ हैं। भक्तिन के माता-पिता के बीच का संबंध और उसके परिवार की आर्थिक स्थिति उसके जीवन को प्रभावित करते हैं। उसके पिता का निधन और उसके बाद के अपमानजनक अनुभवों का वर्णन किया गया है, जिसमें उसके ससुराल में उसके प्रति भेदभाव और उपेक्षा शामिल हैं। भक्तिन का जीवन संघर्षशील है, जहाँ वह अपने पति और ससुराल वालों के लिए कठिनाइयाँ सहती है। उसकी मेहनत और त्याग के बावजूद, वह ससुराल में उचित सम्मान नहीं पाती। उसके पति का निधन भी उसके लिए एक बड़ा सदमा होता है, और वह अकेले अपने बच्चों का पालन-पोषण करने के लिए संघर्ष करती है। पाठ में भक्तिन की साधना और सेवा का भी उल्लेख है, जिसमें वह अपने कर्तव्यों को निभाते हुए अपने स्वाभिमान को बनाए रखती है। उसकी दृढ़ता और साहस उसे कठिन परिस्थितियों में भी आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। इस प्रकार, पाठ में भक्तिन की कहानी के माध्यम से जीवन की कठिनाइयों, संघर्षों और महिला की शक्ति को दर्शाया गया है। यह एक प्रेरणादायक कथा है जो समाज में महिलाओं की स्थिति और उनके संघर्ष को उजागर करती है।
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