गुलामी | Gulami

- श्रेणी: कहानियाँ / Stories बाल पुस्तकें / Children
- लेखक: महात्मा जोतीराव फुले - Mahatma Joteerav Phule
- पृष्ठ : 152
- साइज: 16 MB
- वर्ष: 1980
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दो शब्द :
महात्मा जोतीराव फुले, जिनका जन्म 1827 में हुआ, सामाजिक क्रांति के प्रमुख स्तंभ थे। उन्होंने अपने जीवन में समाज के अनेक मुद्दों का सामना किया और उनके समाधान के लिए काम किया। नारी शिक्षा, शूद्रों और अतिशूद्रों की शिक्षा, विधवाओं के अधिकारों की रक्षा, और किसानों के कल्याण के लिए उनके प्रयास उल्लेखनीय थे। फुले ने शिक्षा को सामाजिक गुलामी का मूल कारण मानते हुए, अविद्या को दूर करने का प्रयास किया। उन्होंने 1848 में पुणे में एक स्कूल की स्थापना की, जो एक भारतीय द्वारा की गई पहली ऐसी पहल थी। उनके विचारों ने समाज में व्यापक बदलाव लाने की दिशा में काम किया और सत्यशोधक समाज की स्थापना की। फुले का मानना था कि सभी मनुष्यों को समान अधिकार मिलने चाहिए, और उन्होंने जाति-भेद और लिंग भेद का विरोध किया। उनकी रचनाएँ, विशेषकर "गुलामी", ने समाज में जागरूकता पैदा की और अंधविश्वास को चुनौती दी। फुले का कार्य न केवल महाराष्ट्र में बल्कि पूरे देश में सामाजिक सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। उन्होंने अपने विचारों से समाज का नजरिया बदला और महिलाओं के अधिकारों को मान्यता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके योगदान को आज भी याद किया जाता है और उनके विचारों से प्रेरणा लेकर समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिशें जारी हैं।
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