योग की कुछ विभूतियां | yog ki kuch Vibhutiyan

- श्रेणी: धारणा और ध्यान/ Concentration and Meditation योग / Yoga साधना /sadhana
- लेखक: नारायण सिंह - Prasidh Narayan Singh
- पृष्ठ : 146
- साइज: 4 MB
- वर्ष: 1920
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दो शब्द :
इस पाठ का सारांश यह है कि योगमार्ग पर चलना एक कठिन और चुनौतीपूर्ण कार्य है, जो कि साधनों और आध्यात्मिक उपकरणों की आवश्यकता रखता है। उपनिषदों के अनुसार, यह मार्ग तेज धार वाली तलवार की तरह है, जिसके पार जाना कठिन है। योग का मार्ग भले ही कठिन हो, लेकिन इसमें मिलने वाला आनंद और आत्मा की शांति इसे अन्य सांसारिक मार्गों से अधिक मूल्यवान बनाती है। पाठ में यह भी बताया गया है कि सांसारिक भोग और विभूतियाँ नश्वर हैं और इनके प्राप्त करने के लिए जो कष्ट उठाने पड़ते हैं, वे हमेशा जुड़े रहते हैं। इसके विपरीत, योग के साधकों ने इन नश्वर विभूतियों को त्यागकर शाश्वत और आनंदमय ब्रह्मानंद की ओर अग्रसर होने का मार्ग चुना है। योग मार्ग पर चलने वाले साधक को कई प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं, लेकिन यदि वह इन सिद्धियों में उलझ कर अपने लक्ष्य से भटक जाता है, तो उसकी मुक्ति में विघ्न आ जाता है। इसलिए संयम और ध्यान के माध्यम से इन सिद्धियों का ज्ञान आवश्यक है, जो साधक को मार्गदर्शन प्रदान करता है। संयम और अभ्यास से साधक ध्यान और समाधि की स्थिति प्राप्त करता है, जिससे उसे दिव्य अनुभव होते हैं। पाठ में आगे बताया गया है कि संयम से अनेक प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं, जैसे दूरदर्शिता, अदृश्यता, और अन्य अद्भुत शक्तियाँ। योग का यह मार्ग अंततः आत्मा की मुक्ति की ओर ले जाता है, जहाँ साधक सभी भौतिक बन्धनों से मुक्त होकर ब्रह्म के साथ एकात्मता का अनुभव करता है। अंतिम रूप से, यह पाठ योग की विभूतियों और सिद्धियों के महत्व को रेखांकित करता है, और यह बताता है कि योग का मार्ग कठिन होते हुए भी अमूल्य और अनन्त फल देने वाला है।
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