रोगों की नयी चिकित्सा | Rogon Ki Nayi Chikitsa

By: लुई कूनेको - Lui Kooneko
रोगों की नयी चिकित्सा | Rogon Ki Nayi Chikitsa by


दो शब्द :

इस पाठ में लुई कूनेकी द्वारा प्राकृतिक चिकित्सा के सिद्धांतों का वर्णन किया गया है। कूने ने अपने जीवन के अनुभवों के आधार पर यह बताया है कि कैसे उन्होंने प्राकृतिक चिकित्सा को अपनाया और इससे लाभ प्राप्त किया। उनका मानना है कि पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियाँ, जैसे एलोपैथी, अक्सर रोगों का सही इलाज नहीं कर पातीं और मरीजों के लिए हानिकारक हो सकती हैं। कूने ने अपने स्वास्थ्य की समस्याओं का जिक्र करते हुए बताया कि किस तरह उन्होंने डॉक्टरों के इलाज से निराश होकर प्राकृतिक चिकित्सा का सहारा लिया। उन्होंने अपने अनुभवों से सीखा कि जल चिकित्सा और प्राकृतिक आहार का पालन करने से वे धीरे-धीरे स्वस्थ हो गए। कूने की पद्धति में यह विचार है कि शरीर एक सम्पूर्ण इकाई है और किसी एक अंग में बीमारी होने पर पूरे शरीर पर उसका असर पड़ता है। उन्होंने प्राकृतिक चिकित्सा के विभिन्न उपायों, जैसे गीली पट्टियाँ और एनिमा, के प्रयोग की महत्ता बताई। इसके अलावा, कूने ने बताया कि कैसे उन्होंने अपने विचारों को साबित करने के लिए अपनी चिकित्सा विधियों का प्रयोग किया और इसके माध्यम से दूसरों को भी लाभ पहुँचाया। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा सरल और स्वाभाविक है, और इसे हर किसी के लिए अपनाना आसान है। पाठ में कूने की चिकित्सा पद्धति को भारतीय जलवायु के अनुकूल बताया गया है और इसे सरलता से घर-घर में लागू किया जा सकता है। कूने की यह पुस्तक प्राकृतिक चिकित्सा के सिद्धांतों और तकनीकों का विस्तार से वर्णन करती है, जिससे पाठकों को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होने और प्राकृतिक उपचार अपनाने की प्रेरणा मिलती है।


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