रघुवंश | Raghuvansh

- श्रेणी: दार्शनिक, तत्त्वज्ञान और नीति | Philosophy भारत / India हिंदू - Hinduism
- लेखक: रामप्रसाद सारस्वत - Ramprasad sarasvat
- पृष्ठ : 394
- साइज: 5 MB
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दो शब्द :
इस पाठ में हिन्दू धर्म के पुनरुत्थान और उसके प्रभावों पर चर्चा की गई है। यह बताया गया है कि हिन्दू धर्म ने केवल बौद्ध धर्म से मुकाबला करने के लिए तैयारियाँ नहीं की थीं, बल्कि यह एक व्यापक सामाजिक और धार्मिक परिवर्तन का हिस्सा था। रामायण काल से लेकर ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी तक, हिन्दू धर्म ने अपने सिद्धांतों को विकसित किया और समाज में अपनी पकड़ मजबूत की। इस परिवर्तन का साहित्य पर भी गहरा प्रभाव पड़ा। संस्कृत भाषा ने साहित्य में प्रमुखता प्राप्त की और शिष्ट समुदाय ने इसे अपनाया। साथ ही, संस्कृत काव्य का विकास हुआ, जिसमें भगवान शिव, राम और कृष्ण जैसे व्यक्तिगत रूपों की पूजा ने नई काव्य परंपराओं को जन्म दिया। सामाजिक दृष्टिकोण से भी यह काल भारत के लिए उन्नति का था। धर्म, समाज, साहित्य, कला, व्यापार आदि सभी क्षेत्रों में समृद्धि आई। सम्राटों के संरक्षण में हिन्दू संस्कृति का विकास हुआ और यह एक सुनहरे युग की ओर अग्रसर हुआ। इस पाठ में कालिदास और उनकी काव्य रचनाओं के संदर्भ में भी चर्चा की गई है। कालिदास का कार्य साहित्य में अद्वितीय है और उनके समय की राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियों को भी उजागर करता है। इस प्रकार, यह पाठ हिन्दू धर्म के पुनरुत्थान, साहित्य के विकास और सामाजिक उन्नति के समग्र दृष्टिकोण को प्रस्तुत करता है।
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