उप पान | Up paan by


दो शब्द :

इस पाठ में प्राकृतिक चिकित्सा और स्वास्थ्य के लिए उसके महत्व पर चर्चा की गई है। वर्तमान में लोग कृत्रिम चिकित्सा से थक चुके हैं और प्राकृतिक उपचारों की ओर बढ़ रहे हैं। जल-चिकित्सा, मृत्तिका-चिकित्सा, वायु-चिकित्सा आदि के माध्यम से लोग स्वास्थ्य को प्राप्त करना चाहते हैं। ये उपचार न केवल रोगों का निवारण करते हैं, बल्कि स्वस्थ जीवन जीने के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। पाठ में लेखक ने अपने मित्र पं. लछीप्रसाद जी पंडेय का उल्लेख किया है, जो संयमित जीवन जीते हैं और योग आसनों का अभ्यास करते हैं। लेखक ने उन्हें एक पुस्तक लिखने के लिए प्रेरित किया है, जिसमें प्राकृतिक चिकित्सा के विभिन्न पहलुओं का वर्णन किया गया है। पानी की उपयोगिता पर भी जोर दिया गया है। यह बताया गया है कि पानी हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसके बिना स्वास्थ्य सही तरीके से काम नहीं कर सकता। पानी की कमी से कई समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए, इसे सही समय पर और सही मात्रा में पीना आवश्यक है। उपःपान की प्रक्रिया का भी वर्णन किया गया है, जिसमें सुबह जल्दी उठकर पहले मल-मृत्र की हाजत के बाद पानी पीने की सलाह दी गई है। इसमें नियमों का पालन करते हुए पानी को मुँह और नाक के माध्यम से पीने की विधि भी बताई गई है। लेखक ने यह भी बताया है कि संयमित आहार और व्यायाम का पालन करने से व्यक्ति रोग मुक्त रह सकता है और लंबी उम्र जी सकता है। इसलिए, प्राकृतिक चिकित्सा को अपनाना और नियमितता बनाए रखना महत्वपूर्ण है ताकि स्वास्थ्य को बनाए रखा जा सके।


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