रसगंगाधर | Rasagangadhara

- श्रेणी: संस्कृत /sanskrit साहित्य / Literature
- लेखक: पण्डित श्री बदरीनाथ झा - Pandit Shri Badarinath Jha
- पृष्ठ : 453
- साइज: 9 MB
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दो शब्द :
इस पाठ में भारतीय साहित्य और काव्यशास्त्र के विषय में चर्चा की गई है। इसमें विभिन्न शास्त्रों का उल्लेख किया गया है, जैसे कि रसगंगाधर और अलंकारशास्त्र, जो काव्य की संरचना और उसके तत्वों को समझने में सहायता करते हैं। पाठ में कवि राजशेखर का उल्लेख करते हुए यह विचार किया गया है कि काव्य के शास्त्र में रस और अलंकार का कितना महत्व है। इसके साथ ही, काव्य में भाव और अर्थ की विवेचना की गई है। लेखक ने यह भी बताया है कि कैसे काव्य के माध्यम से भावनाओं और विचारों को व्यक्त किया जा सकता है। पाठ में यह भी बताया गया है कि साहित्य में विभिन्न युगों के दौरान क्या परिवर्तन आया है और कैसे यह रूपांतरित हुआ है। विशेष रूप से, अलंकार और रस की अवधारणाओं का विकास और उनके महत्व पर जोर दिया गया है। कुल मिलाकर, यह पाठ भारतीय काव्यशास्त्र के विभिन्न पहलुओं को समझाने का प्रयास करता है, जिसमें काव्य के तत्वों, उनके उपयोग और साहित्य में उनके स्थान पर चर्चा की गई है।
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