आजाद हिन्द फौज की कहानी | Azad Hind Fauz Ki Kahani

- श्रेणी: Freedom and Politics | आज़ादी और राजनीति भारत / India
- लेखक: प्रेमचंद - Premchand
- पृष्ठ : 112
- साइज: 4 MB
- वर्ष: 1978
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दो शब्द :
आज़ाद हिंद फ़ौज की कहानी सुभाष चंद्र बोस के जीवन और उनके स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण पल को दर्शाती है। सुभाष का जन्म 23 जनवरी 1897 को कटक, उड़ीसा में हुआ। उनके परिवार में राजनीतिक और सामाजिक जागरूकता थी, और उनके पिता ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भाग लिया। सुभाष ने अपनी शिक्षा के दौरान विभिन्न अनुभव किए, जो उनके जीवन की दिशा निर्धारित करने में सहायक बने। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, सुभाष चंद्र बोस ने अपने अंग्रेज़ शासकों से बचने के लिए एक साहसिक योजना बनाई और भारत से बाहर निकलकर जर्मनी पहुंचे। वहां, उन्होंने आज़ाद हिंद फ़ौज की स्थापना की, जिसमें उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी। उन्होंने जर्मनी से जापान की ओर बढ़ते हुए भारतीय सैनिकों को संगठित किया और 1944 में मनीपुर में तिरंगा फहराया। हालांकि, बाद में बाढ़ और अन्य कठिनाइयों के कारण फ़ौज की स्थिति बिगड़ गई। सुभाष चंद्र बोस का संकल्प था कि वे भारत को स्वतंत्र कराने के लिए सभी आवश्यक प्रयास करेंगे। उन्होंने अपने सैनिकों को प्रेरित किया और हमेशा विश्वास व्यक्त किया कि भारत जल्द ही स्वतंत्र होगा। अंततः 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ, लेकिन विभाजन के साथ। सुभाष चंद्र बोस का जीवन संघर्ष, साहस और देशभक्ति की मिसाल है। उनके विचार और कार्य आज भी भारतीयों को प्रेरित करते हैं। उनकी शिक्षा और आदर्श यह दर्शाते हैं कि मानवता की सेवा ही असली सेवा है, और यही सोच उनके स्वतंत्रता संग्राम का मूल आधार बनी।
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