दो शब्द :

इस पाठ में भारत के प्राचीन ज्ञान भंडार, वेदों और उपनिषदों का महत्व बताया गया है। वेद, मानव जाति को उच्चतम लक्ष्य की ओर ले जाने के लिए उपदेश देते हैं। वेदों के दो मुख्य भाग होते हैं: कर्मकाण्ड और तत्त्वज्ञान, जिसे वेदांत कहा जाता है। उपनिषद वेदों के अंतिम भाग में आते हैं और इनमें जीवन के गूढ़ तत्त्वों का विवेचन किया जाता है। उपनिषदों की संख्या चार मानी जाती है, लेकिन वर्तमान में 108 उपनिषदों का अध्ययन किया जाता है। पाठ में यह भी कहा गया है कि दस उपनिषद विशेष रूप से प्राचीन और महत्वपूर्ण माने जाते हैं, जिन पर अनेक आचार्य भाष्य लिख चुके हैं। अन्य उपनिषद भी महत्वपूर्ण हैं और सभी मनुष्यों के लिए उपयोगी हैं। उपनिषदों का उद्देश्य सामान्य भाषा में ज्ञान प्रदान करना है, ताकि लोग आसानी से समझ सकें। इस पुस्तक में इक्क्यावन उपनिषदों का संग्रह प्रस्तुत किया गया है, जिसे "बेदान्त केसरी" से अनुवादित किया गया। प्रकाशन के लिए जीवनराम गंगाराम फर्म का आभार व्यक्त किया गया है। पाठ में विभिन्न उपनिषदों के विषयों और उनके महत्व का संक्षेप में उल्लेख किया गया है। शांति पाठ के माध्यम से ज्ञान, सुरक्षा और सामर्थ्य की कामना की गई है। इस प्रकार, पाठ भारतीय वेदों और उपनिषदों के अद्वितीय ज्ञान, उनकी प्राचीनता और आधुनिक उपयोगिता को उजागर करता है।


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