बालक विवेकानंद | Balk Vivekanand

By: स्वामी विवेकानंद - Swami Vivekanand


दो शब्द :

इस पाठ में बालक विवेकानन्द, जिनका असली नाम नरेन्द्रनाथ है, के बचपन और प्रारंभिक शिक्षा के अनुभवों का वर्णन किया गया है। नरेन्द्रनाथ का व्यक्तित्व साहसी, न्यायप्रिय और नेतृत्व करने वाला था। उनकी शिक्षा यात्रा बेलूंड मठ में महावीर श्री हनुमान जी की पूजा के प्रति उनकी श्रद्धा से शुरू होती है। नरेन्द्रनाथ की प्राथमिक शिक्षा में उनके गुरु उन्हें समझने में कठिनाई महसूस करते थे, क्योंकि नरेन्द्र की चंचलता और स्वतंत्रता की भावना उन्हें सामान्य शिक्षा पद्धति के अनुकूल नहीं थी। जब वे मेट्रोपोलिटन इंस्टीट्यूशन में पढ़ने गए, तो उन्होंने अपने सहपाठियों के साथ एक छोटे से समूह का गठन किया। स्कूल में उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन उनके सहपाठी उनके साहस और नेतृत्व के कारण उन्हें पसंद करते थे। नरेन्द्रनाथ का व्यक्तित्व बचपन से ही अद्वितीय था; वे कभी भी भय से परिचित नहीं हुए और हमेशा साहसी रहे। एक घटना का उल्लेख है जब नरेन्द्रनाथ ने एक छोटे बच्चे को एक गाड़ी के नीचे से बचाया, जिससे उनकी बहादुरी की प्रशंसा हुई। इसके अलावा, उनके माता-पिता और शिक्षक उनकी क्षमताओं को पहचानते थे और उन्हें प्रोत्साहित करते थे। नरेन्द्रनाथ का विश्वास था कि उन्हें किसी बात पर बिना प्रमाण के विश्वास नहीं करना चाहिए, और यह विश्वास उनके जीवन में आगे चलकर भी बना रहा। उनकी शिक्षा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव तब आया जब वे अपने पिता के साथ रायपुर गए, जहां उनके पिता ने उन्हें स्वयं शिक्षा देना शुरू किया। नरेन्द्रनाथ ने विभिन्न विषयों पर गहन अध्ययन किया और साहित्य, दर्शन, और अन्य विषयों में रुचि विकसित की। उनकी बुद्धिमत्ता और विचारशीलता ने उन्हें बड़े लोगों के बीच भी मान्यता दिलाई। पाठ के अंत में, नरेन्द्रनाथ की प्रतिभा और भविष्य की संभावनाओं की ओर संकेत किया गया है, जो उन्हें एक महान नेता और विचारक बनाने की दिशा में अग्रसर करते हैं।


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