गुप्तसिद्ध प्रोगानक भाग -२ | Guptasiddh Proganak Bhag - 2

By: रामचंद्र शर्मा - Ram Chandra Sharma श्री कृष्णलाल - Shri Krishnlal


दो शब्द :

इस पाठ में आयुर्वेदिक चिकित्सा के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। इसमें धन्वन्तरि के आह्वान और आयुर्वेदिक औषधियों के निर्माण की प्रक्रिया के बारे में जानकारी प्रदान की गई है। पाठ में बताया गया है कि किस प्रकार औषधियों का निर्माण बड़ी मात्रा में किया जाता है और ये औषधियाँ विक्रेताओं को कैसे उपलब्ध कराई जाती हैं। इसके अलावा, पाठ में शिलाजीत जैसे महत्वपूर्ण औषधीय पदार्थों के संग्रह और उपयोग के बारे में बताया गया है। पाठ में यह भी सुझाव दिया गया है कि ग्राहक अपनी आवश्यकताओं के अनुसार इन पदार्थों को मंगाकर लाभ उठा सकते हैं। आयुर्वेद में ज्ञान के महत्व पर जोर दिया गया है और यह बताया गया है कि बिना उचित ज्ञान के चिकित्सा करना कठिन होता है। पाठ में चिकित्सकों के लिए औषधियों के प्रयोगों की सूची दी गई है, जिससे विभिन्न रोगों के उपचार के लिए औषधियों का चयन किया जा सके। अंत में, पाठ में यह बताया गया है कि कैसे आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में सुधार लाने के लिए नवीन प्रयोगों और ज्ञान का संकलन किया गया है, ताकि अधिक से अधिक लोगों को इसका लाभ मिल सके।


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