प्राचीन हिंदी काव्य | Prachin Hindi Kavya

- श्रेणी: साहित्य / Literature हिंदी / Hindi
- लेखक: ओमप्रकाश - Om Prakash
- पृष्ठ : 204
- साइज: 3 MB
- वर्ष: 1951
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दो शब्द :
इस पाठ में प्राचीन हिंदी-काव्य के विभिन्न पहलुओं का विवेचन किया गया है। लेखक डॉ. ओमप्रकाश ने प्राचीन साहित्य से संबंधित निबंधों का संकलन प्रस्तुत किया है, जिसमें प्रत्येक निबंध एक विशिष्ट समस्या को उठाता है और उसका समाधान पेश करने का प्रयास करता है। इस संग्रह में साहित्य की रचनाओं के माध्यम से सांस्कृतिक और दार्शनिक विचारों की गहराई को समझाने का प्रयास किया गया है। लेखक ने प्राचीन भारतीय संस्कृति, साहित्य और दर्शन के महत्व को रेखांकित किया है। उन्होंने यह बताया कि कैसे बौद्धिक विचारधाराएं और सांस्कृतिक परिवर्तन भारतीय समाज को प्रभावित करते रहे हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया है कि प्राचीन काव्य में न केवल भक्ति और श्रृंगार का भाव है, बल्कि यह राष्ट्रीयता और सांस्कृतिक पहचान को भी समर्पित है। पाठ में यह भी कहा गया है कि कैसे बाहरी आक्रमणों और राजनीतिक अस्थिरता ने भारतीय संस्कृति को प्रभावित किया, लेकिन फिर भी साहित्य के माध्यम से एक सांस्कृतिक चेतना का संचार रहा। लेखक ने यह भी बताया कि भक्ति और श्रृंगार काव्य काल में लोगों ने मोक्ष और आत्मा के विकास को अधिक महत्व दिया, जिससे समाज में उदासी और निराशा का भाव उत्पन्न हुआ। अंत में, लेखक ने यह निष्कर्ष निकाला है कि प्राचीन साहित्य केवल एक रचनात्मक अभिव्यक्ति नहीं है, बल्कि यह हमारे सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो हमें हमारे पूर्वजों की सोच और उनके जीवन के मूल्यों से जोड़ता है।
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