कबीर वाणी सुधा | Kabir Vani Sudha

By: पारसनाय तिवारी - Parsana Tiwari
कबीर वाणी सुधा | Kabir Vani Sudha by


दो शब्द :

कबीर का जीवनवृत्त एक महत्वपूर्ण विषय है, जिसमें उनके जन्म, प्रारंभिक जीवन और समाज में उनके योगदान के बारे में चर्चा की गई है। कबीर का जन्म लगभग छह सौ वर्ष पहले एक जुलाहे और उसकी पत्नी नीमा के घर हुआ। उनकी कहानी के अनुसार, नामकरण संस्कार के समय उनका नाम 'कबीर' रखा गया, जिसका अर्थ है 'महान परमात्मा'। कबीर के जन्मस्थान को लेकर विभिन्न मत हैं; कुछ लोग काशी, कुछ मगहर और कुछ अन्य स्थानों को उनका जन्मस्थान मानते हैं। कबीर ने अपने जीवन में समाज की बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाई और भक्ति के माध्यम से मोक्ष की प्राप्ति की बात की। उन्होंने साकतों (जो भक्ति से दूर थे) की निंदा की और सच्चे भक्तों की महिमा का गुणगान किया। कबीर की वाणी में जीवन और मृत्यु, मोक्ष और जीवन्मुक्ति के गहरे विचार शामिल हैं। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि जीवित अवस्था में ही मोक्ष की प्राप्ति संभव है, और मरणोत्तर जीवन की कल्पनाओं से उन्होंने दूर रहने का संदेश दिया। कबीर का काव्य उनकी भाषा और शैली में अद्वितीय है, जिसमें वे सीधे और सरल शब्दों का प्रयोग करते हैं। उनके पदों में सामाजिक चेतना, धार्मिक समानता और मानवता के प्रति प्रेम का संदेश मिलता है। कबीर का विचार था कि बाहरी आडंबरों से अधिक महत्वपूर्ण आंतरिक भक्ति और सच्चाई है। इसी प्रकार, कबीर की भक्ति, साधना और समाज-दर्शन की बातें उनके जीवन और कार्यों को और भी महत्वपूर्ण बनाती हैं।


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