झील के उस पार | Jheel Ke Us Paar

By: गुलशन नंदा - Gulshan Nanda
झील के उस पार | Jheel Ke Us Paar by


दो शब्द :

यह पाठ "झील के उस पार" उपन्यास का एक अंश है, जिसमें मुख्य पात्र समीर और नीलू के बीच की बातचीत और भावनाओं का चित्रण किया गया है। समीर, जो सात वर्षों बाद अपने पुराने स्थान पर लौटता है, अपनी यादों और अनुभवों में खोया हुआ है। नीलू के प्रति उसकी भावनाएँ गहरी हैं, और वह उसे याद करता है। नीलू की बातों में एक गहराई है जो समीर को आकर्षित करती है। वह उसे प्यार और समझदारी का अहसास कराता है। समीर ने देखा कि नीलू आज भी उसी चट्टान पर बैठी है, जहां उसने पहली बार उसे देखा था। नीलू का मछलियों को खिलाना और उसका आनंद लेना समीर को उसकी सरलता और मासूमियत की याद दिलाता है। यह क्षण समीर के लिए भावुक है, क्योंकि वह नीलू की उपस्थिति में अपने अतीत को पुनः जीता है। पाठ के अंत में, समीर और नीलू के बीच की मुलाकात एक नई शुरुआत का संकेत देती है। यह उपन्यास मानवीय संबंधों, प्रेम, और यादों के जाल को बुनता है, जो पाठकों को गहराई से छूता है। लेखक गुलशन नंदा ने इस उपन्यास के माध्यम से समाज की जटिलताओं और मानवीय भावनाओं का रंगीन चित्रण किया है।


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