चिकित्सा पद्धति [दूसरा भाग] | Chikitsa paddhati [bhag2]
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- श्रेणी: Aushadhi | औषधि Ayurveda | आयुर्वेद
- लेखक: कृष्णदयाल जी - Krishadayal ji
- पृष्ठ : 646
- साइज: 24 MB
- वर्ष: 1936
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दो शब्द :
इस पाठ में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के दूसरे भाग के प्रकाशन की सूचना दी गई है। इस भाग में हिस्टीरिया, अपेंडिसाइटिस, उच्च रक्तचाप, गर्दन तोड़ बुखार आदि रोगों का विस्तृत विवरण और अनुभूत चिकित्सा विधियों का उल्लेख किया गया है। इसमें आधुनिक और प्राचीन परीक्षण विधियों का समावेश किया गया है, जैसे मत्त, मूत्र, रक्त, शुक्र, थूक और नाड़ी परीक्षण। पुस्तक के अंत में विभिन्न भस्मों के बनाने की सरल विधियां भी दी गई हैं। इसकी कीमत 3 रुपये है और इसे प्रताप आयुर्वेदिक फार्मेसी लिमिटेड से प्राप्त किया जा सकता है। पाठ में यह भी बताया गया है कि आयुर्वेद संबंधी पत्रिका "आयुर्वेद संसार" का संपादन विद्वान वैद्य और आधुनिक विज्ञानियों द्वारा किया जाता है, और इसमें आयुर्वेद की प्राचीन और नवीन जानकारियों का संकलन किया जाता है। यह पत्रिका न केवल पुराने प्रयोगों पर आधारित है, बल्कि इसमें आधुनिक चिकित्सा की खोजों का भी समावेश है। आयुर्वेद के अध्ययन की कठिनाइयों का वर्णन करते हुए बताया गया है कि चिकित्सा ग्रंथों में एक ही रोग के लिए कई उपचार विधियां होती हैं, जिससे चिकित्सक को सही उपचार चुनने में कठिनाई होती है। साथ ही, यह भी उल्लेख किया गया है कि आयुर्वेद का ज्ञान प्राप्त करने के लिए एक योग्य और अनुभवशील शिक्षक की आवश्यकता होती है, जो शिष्य की पूरी परीक्षा करके ही उसे इस ज्ञान का अधिकारी समझता है। वर्तमान में आयुर्वेद के अध्ययन में कमी और औपचारिकता का उल्लेख किया गया है, जिससे चिकित्सा की गुणवत्ता प्रभावित होती है। इस प्रकार, पाठ में आयुर्वेद की चिकित्सा पद्धति की महत्वता, इसकी चुनौतियाँ, और इसके सही अध्ययन और अभ्यास की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।
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