व्यष्टि अर्थशास्त्र | Micro Economics

- श्रेणी: अर्थशास्त्र / Economics
- लेखक: लक्ष्मीनारायण नाथूराम - Lakshminarayan Nathuram
- पृष्ठ : 653
- साइज: 11 MB
- वर्ष: 2002
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दो शब्द :
इस पाठ में अर्थशास्त्र की प्रगति, इसकी विषय सामग्री और इसके विभिन्न दृष्टिकोणों पर चर्चा की गई है। अर्थशास्त्र को एक विज्ञान मानने में विभिन्न मतभेद हैं, लेकिन इसके नियमों की वैज्ञानिकता पर संदेह नहीं किया जाना चाहिए। अर्थशास्त्र की परिभाषा में उपभोग, उत्पादन, विनिमय, और वितरण जैसे तत्व शामिल हैं। आधुनिक अर्थशास्त्र को दो भागों में विभाजित किया गया है: व्यष्टि अर्थशास्त्र, जो व्यक्तियों और फर्मों के आर्थिक व्यवहार का अध्ययन करता है, और समष्टि अर्थशास्त्र, जो पूरी अर्थव्यवस्था की गतिविधियों का विश्लेषण करता है। पाठ में यह भी बताया गया है कि अर्थशास्त्र के नियम प्राकृतिक विज्ञानों के नियमों के मुकाबले कम निश्चित हैं क्योंकि ये मानव व्यवहार पर निर्भर करते हैं, जो अनिश्चय और परिवर्तनशीलता से भरा होता है। अर्थशास्त्र के सिद्धांतों में मतभेदों का मुख्य कारण विभिन्न अर्थशास्त्रियों के दृष्टिकोण और उनके आदर्शात्मक विचार हैं। इसके अलावा, भविष्यवाणियों की कठिनाई और जटिलता के कारण अर्थशास्त्र को पूर्ण विज्ञान मानने में संदेह है। हालांकि, सांख्यिकी और गणित के बढ़ते उपयोग से अर्थशास्त्र की वैज्ञानिकता में सुधार हो रहा है। पाठ में यह भी चर्चा की गई है कि आदर्शात्मक अर्थशास्त्र और वास्तविक अर्थशास्त्र के बीच का अंतर कैसे विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक, और धार्मिक विचारों से प्रभावित होता है। अंत में, यह स्पष्ट किया गया है कि वास्तविक और आदर्शात्मक अर्थशास्त्र के अध्ययन में दोनों दृष्टिकोणों का महत्व है और यह आवश्यक है कि विद्यार्थी दोनों को समझें।
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