वैदिक जल - धर्म | Vaidik jal-Dharm

- श्रेणी: Hindu Scriptures | हिंदू धर्मग्रंथ वैदिक काल / vedik period
- लेखक: श्रीपाद दामोदर सातवलेकर - Shripad Damodar Satwalekar
- पृष्ठ : 28
- साइज: 1 MB
- वर्ष: 1923
-
-
Share Now:
दो शब्द :
इस पाठ में वेदिक धर्म और जल के महत्व पर विचार किया गया है। यह मासिक पत्र जल के गुणों, उसके औषधीय उपयोग और वेदों में जल के संदर्भ में दिए गए मंत्रों के बारे में जानकारी प्रदान करता है। जल को 'अमृत' और 'सख' जैसे नामों से संबोधित किया गया है, जो इसके शुद्धता और स्वास्थ्यवर्धक गुणों को दर्शाते हैं। लेख में जल के विभिन्न नामों और उनके अर्थों पर चर्चा की गई है, जैसे कि 'अक्षर' (जिससे क्षय नहीं होता) और 'तेज' (जो शरीर में ऊर्जा और शक्ति उत्पन्न करता है)। इसके साथ ही, जल चिकित्सा और उसके स्वास्थ्य लाभों के बारे में जानकारी दी गई है। पाठ में यह भी बताया गया है कि जल का सेवन शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए कितना महत्वपूर्ण है और यह कैसे विभिन्न रोगों के उपचार में सहायक हो सकता है। लेखक ने पाठकों को प्रेरित किया है कि वे वेदों के ज्ञान को समझें और जल के उपयोग से अपने स्वास्थ्य को सुधारें। इस प्रकार, यह पाठ वेदिक धर्म और जल के महत्व को उजागर करता है, और पाठकों को इस दिशा में जागरूक करता है।
Please share your views, complaints, requests, or suggestions in the comment box below.