मुहूर्त मार्तंड | Muhurat Martand

By: श्री सीतारामभक्त्क्रत - Seetaram Bhaktkrat


दो शब्द :

इस पाठ में संस्कृत के एक महत्वपूर्ण ग्रंथ "मुहूर्तमातेंड" का परिचय दिया गया है, जिसे दैवज्ञ नारायण ने लिखा है। यह ग्रंथ ज्योतिष और तिथि निर्धारण पर आधारित है, जिसमें विभिन्न मुहूर्तों का वर्णन किया गया है। इसके प्रकाशन का कार्य काशी के एक मास्टर खेलाड़ीलाल एंड सन्स द्वारा किया गया था और इसे सीताराम पुड्रणालय में मुद्रित किया गया। पुस्तक के प्रकाशक ने बताया है कि संस्कृत ग्रंथों का अध्ययन महत्वपूर्ण है, क्योंकि इनसे विद्वानों को गहरी ज्ञानवर्धन की प्रेरणा मिलती है। ज्योतिष शास्त्र को वेद का एक प्रमुख अंग माना जाता है, और इसके अंतर्गत अनेकों ग्रंथ लिखे गए हैं, जो प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक महत्वपूर्ण रहे हैं। इस ग्रंथ में विभिन्न प्रकार के मुहूर्तों का उल्लेख है, जैसे गर्भाधान, सवन, जातक मुहूर्त आदि। इसके अलावा, इसमें नक्षत्रों, राशियों, और ग्रहों के प्रभाव पर भी चर्चा की गई है। ग्रंथ के अंतिम भाग में लेखक ने अपनी पहचान भी दी है और अपने ज्ञान के स्रोतों का उल्लेख किया है। इस प्रकार, "मुहूर्तमातेंड" ग्रंथ ज्योतिष के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जो भारतीय संस्कृति और परंपराओं को समझने में सहायक है।


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