तर्क संग्रह | Tark Sangrah

- श्रेणी: दार्शनिक, तत्त्वज्ञान और नीति | Philosophy
- लेखक: आद्या प्रसाद मिश्र - Aadhya Prasad Mishra
- पृष्ठ : 98
- साइज: 11 MB
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दो शब्द :
इस पाठ में भारतीय दर्शन के महत्व और उसकी परिभाषा पर चर्चा की गई है। 'दर्शन' शब्द का अर्थ साक्षात्कार या ज्ञान है, जो जीवन के सभी पहलुओं से संबंधित है। यह बताया गया है कि विभिन्न समयों में विभिन्न विचारकों ने सत्य को समझने का प्रयास किया और उनके अनुभवों को 'दर्शन' कहा गया। भारतीय संस्कृति में दर्शन का अर्थ केवल ज्ञान नहीं, बल्कि जीवन के अनुभवों का सारांश भी है। यह उपनिषदों, वेदों और अन्य प्राचीन ग्रंथों में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। उपनिषदों में आत्मा, परमात्मा और मोक्ष के विषय में गहन विचार विमर्श किया गया है। पाठ में यह भी वर्णित है कि दर्शन के दो प्रमुख भेद होते हैं - आस्तिक और नास्तिक। आस्तिक वे होते हैं जो आत्मा, परलोक, वेदों की प्रामाणिकता और ईश्वर में विश्वास रखते हैं, जबकि नास्तिक वे होते हैं जो इन सिद्धांतों को स्वीकार नहीं करते। विभिन्न दार्शनिक प्रणालियों जैसे न्याय, वेदान्त, साख्य, योग, आदि का वर्णन भी किया गया है। पाठ में यह भी बताया गया कि ये दार्शनिक प्रणालियाँ तर्क और शब्द के आधार पर अपने सिद्धांत स्थापित करती हैं। इस प्रकार, यह पाठ भारतीय दर्शन की विविधता, उसके मूल तत्वों और ज्ञान के साधनों पर प्रकाश डालता है, यह दिखाते हुए कि दर्शन केवल एक शास्त्र नहीं, बल्कि जीवन के अनुभवों और सत्य के अनुसंधान का माध्यम है।
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