वैदिक साहित्य | Vaidik Sahitya

By: पं. रामगोविन्द त्रिवेदी - Pt. Ramgovind Trivedi


दो शब्द :

इस पाठ का सारांश इस प्रकार है: इस पुस्तक का नाम "वेदिक साहित्य" है, जिसे डॉ. सम्पूर्णानन्द ने लिखा है। पुस्तक में वेदों का महत्व, निर्माण काल, और उनके इतिहास पर चर्चा की गई है। लेखक ने बताया है कि हिन्दू समाज में वेदों के प्रति श्रद्धा का एक लंबा इतिहास रहा है, लेकिन वर्तमान में यह श्रद्धा कम होती जा रही है। बहुत से लोग वेदों को नहीं जानते, और जिन लोगों ने सुना है, वे भी उनके बारे में बहुत कम जानकारी रखते हैं। लेखक ने यह भी उल्लेख किया है कि वेदों में समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर है और उनका अध्ययन न केवल हिन्दुओं के लिए, बल्कि अन्य लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण है। वेदों में ज्ञान की वह ज्योति है, जिसकी आज के मानव को आवश्यकता है। पुस्तक में यह भी बताया गया है कि वेदों के अध्ययन का प्रचलन कम हो रहा है और पंडित समाज ने भी इस दिशा में रुचि खो दी है। इससे वेदों का ज्ञान रखने वाले लोगों की संख्या में कमी आ रही है। इसके अलावा, लेखक ने वेदों के मंत्रों के सही उच्चारण और उनके विनियोग के महत्व पर भी प्रकाश डाला है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि मंत्रों का सही उच्चारण और उनका सही संदर्भ में उपयोग होना आवश्यक है, अन्यथा उनका प्रभाव कम हो सकता है। पुस्तक में वेदों की विभिन्न शाखाओं, उनके विभिन्न पाठों, और उनके धार्मिक एवं सामाजिक महत्व पर विस्तृत चर्चा की गई है। यह एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है जो वेदिक ज्ञान और संस्कृति को समझने में मदद करता है।


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