स्वस्थ्य और जल-चिकित्सा | Swasthya Aur Jal-Chikitsa

By: केदारनाथ गुप्त - Kedarnath Gupta
स्वस्थ्य और जल-चिकित्सा | Swasthya Aur Jal-Chikitsa by


दो शब्द :

इस पाठ में स्वास्थ्य और जल-चिकित्सा के महत्व पर चर्चा की गई है। लेखक केदारनाथ गुप्त ने यह बताया है कि वर्तमान में औसत जीवनकाल कम हो रहा है, जिसका मुख्य कारण मानसिक शिक्षा की कमी और अस्वास्थ्यकर जीवनशैली है। उन्होंने बताया कि आधुनिक जीवनशैली, जिसमें लोग व्यायाम और स्वच्छता का ध्यान नहीं रखते, स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रही है। लेखक ने यह भी उल्लेख किया है कि हमारी खान-पान की आदतें अप्राकृतिक हो गई हैं और इससे विभिन्न बीमारियाँ उत्पन्न हो रही हैं। उन्होंने जल-चिकित्सा के माध्यम से स्वास्थ्य को बनाए रखने के तरीकों पर जोर दिया है, जिसमें विभिन्न प्रकार के स्नान और भाप चिकित्सा शामिल हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से खान-पान का सही होना अत्यंत आवश्यक है। लेखक ने बताया कि अगर हम प्राकृतिक और संतुलित आहार का सेवन करें, तो हम कई बीमारियों से बच सकते हैं। इसके अलावा, उन्होंने बताया कि चिकित्सा के लिए प्राकृतिक पदार्थों का उपयोग करना ज्यादा फायदेमंद है और औषधियों के स्थान पर इन्हें प्राथमिकता देनी चाहिए। पुस्तक में शारीरिक स्वास्थ्य, जल-चिकित्सा, खान-पान की आदतें और विभिन्न बीमारियों के उपचार के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। लेखक ने यह भी कहा है कि हमें अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहना चाहिए और प्राकृतिक उपायों को अपनाना चाहिए ताकि हम एक स्वस्थ और दीर्घकालिक जीवन जी सकें।


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