यौवन की भूल | Yauvan ki bhool

- श्रेणी: साहित्य / Literature
- लेखक: ज्ञानचंद्र - Gyanchandra
- पृष्ठ : 158
- साइज: 8 MB
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दो शब्द :
हेनरी रेनी अल्बर्ट गाइड-मोपासां, जिसे विश्व साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है, का जन्म 5 अगस्त 1857 को हुआ था। उसने अपने जीवन में समाज के विभिन्न पहलुओं को देखा और इसे अपनी कहानियों में बखूबी दर्शाया। उसकी प्रारंभिक कृतियाँ प्रसिद्ध लेखक शुस्टाव फ़ाबेर को दिखाने के बाद ही उसकी लेखन यात्रा शुरू हुई। 1880 में उसकी कहानी "बूछ-ड-खीफ" ने उसे ख्याति दिलाई, और उसके बाद उसने कई प्रसिद्ध ग्रंथ लिखे। उसकी कहानियाँ प्रेम और वासना के जटिलताओं को दर्शाती हैं। प्रस्तुत पुस्तक 'पिएर-ए-ज्णाँ' का भावानुवाद है, जिसमें एक परिवार के यौवन की एक भूल के कारण उत्पन्न संकट का चित्रण किया गया है। कहानी में वृद्ध रोलेन्ड अपने बेटों के साथ मछली पकड़ने निकले हैं। उसकी पत्नी और पड़ोसी श्रीमती रोजुमिली भी उनके साथ हैं। वृद्ध का मछली पकड़ने का शौक और उसके बेटों का आपस में प्रतिस्पर्धा कहानी के केंद्र में है। पिएर और ज्णाँ, रोलेन्ड के दो बेटे, अपने माता-पिता के प्रति अपनी भावनाओं और प्रतिस्पर्धा को दर्शाते हैं। पिएर, जो डॉक्टर बन गया है, और ज्णाँ, जो अपने भाई के मुकाबले अधिक आकर्षक है, दोनों में मानसिक तनाव और प्रतिकूलता का अनुभव होता है। श्रीमती रोजुमिली, जो एक विधवा हैं, का उनके साथ आना और दोनों भाइयों के बीच अदृश्य प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना कहानी में अहम मोड़ देता है। इस प्रकार, कहानी यौवन की भूल से उत्पन्न परिवार के संघर्षों और भावनाओं का सुंदर चित्रण करती है, जो अंततः मानवीय संबंधों की जटिलताओं को उजागर करती है।
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