स्वास्थ्य के प्राकृतिक साधन | Swasthya Ke Prakritik Saadhan

By: बाबू केशवकुमार ठाकुर - Babu Keshavkumar Thakur
स्वास्थ्य के प्राकृतिक साधन | Swasthya Ke Prakritik Saadhan by


दो शब्द :

यह पाठ स्वास्थ्य के महत्व और उसके नष्ट होने के कारणों पर केंद्रित है। लेखक ने बताया है कि किसी भी देश के निवासियों का शारीरिक स्वास्थ्य उस देश के विकास का एक महत्वपूर्ण संकेतक होता है। जब देश उन्नति करता है, तब लोग स्वस्थ और नीरोग होते हैं, लेकिन जब देश का पतन होता है, तो लोग अस्वस्थ और गरीब हो जाते हैं। भारत की स्थिति पर चर्चा करते हुए, लेखक ने बताया कि जब देश उन्नत था, तब लोगों में स्वास्थ्य था, लेकिन आज स्थिति नष्ट हो गई है। इसके विपरीत, जब देश फिर से उन्नति की ओर बढ़ रहा है, तो लोगों में स्वास्थ्य की पुनः प्राप्ति हो रही है। लेखक ने स्वास्थ्य के प्राकृतिक साधनों और उसके संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि मनुष्य का स्वास्थ्य उसके स्वाभाविक जीवन से जुड़ा है और समाज की शिक्षा और सभ्यता का विकास स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। पाठ में यह भी उल्लेख किया गया है कि मनुष्य को स्वास्थ्य प्राप्त करने के लिए विशेष प्रयास करने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए, क्योंकि स्वास्थ्य जीवन का एक स्वाभाविक हिस्सा है। जब मनुष्य अप्राकृतिक जीवन जीता है, तब उसका स्वास्थ्य नष्ट होता है। स्वास्थ्य के नष्ट होने के कारणों पर चर्चा करते हुए, लेखक ने बताया कि बच्चों का अस्वाभाविक जीवन, जैसे कि स्कूलों में पढ़ाई के दौरान मिलने वाली रुकावटें, उनके स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं। अंत में, पाठक को यह संदेश दिया गया है कि स्वास्थ्य और सुख प्राप्त करने के लिए प्रकृति के अनुरूप जीवन जीना चाहिए और स्वास्थ्य को नष्ट करने वाले कारकों से बचना चाहिए।


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