लहसुन बादशाह | Lahsun Badshah

- श्रेणी: Ayurveda | आयुर्वेद Health and Wellness | स्वास्थ्य
- लेखक: स्वामी सत्यदेव जी परिव्राजक - Swami Satyadev Jee Parivrajak
- पृष्ठ : 129
- साइज: 7 MB
- वर्ष: 1954
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दो शब्द :
इस पाठ में स्वामी सत्यदेव जी महाराज के जीवन और उनके योगदान का वर्णन किया गया है। स्वामी सत्यदेव हिंदी भाषा और साहित्य के प्रति समर्पित थे और उन्होंने हरिद्वार में 'सत्यज्ञान निकेतन' स्थापित किया, जहां से उन्होंने हिंदी नागरी की सेवा की। उन्होंने अपने सभी ग्रंथों की अवशिष्ट प्रतियाँ और कॉपीराइट नागरी प्रचारिणी सभा को दान किया, ताकि हिंदी साहित्य का निरंतर प्रचार-प्रसार हो सके। इसके साथ ही, 'लहसुन बादशाह' नामक एक पुस्तक की चर्चा की गई है, जिसमें एक 150 वर्षीय महामुनि की कहानी है, जो लहसुन के उपयोग से कायाकल्प करने का दावा करते हैं। यह पुस्तक स्वामी सत्यदेव जी की एक लोकप्रिय रचना है और इसके माध्यम से पाठकों को लहसुन के स्वास्थ्य लाभों के बारे में जानकारी दी गई है। लेखक ने इस पुस्तक को पहले 'ज्ञानधारा' पत्रिका में प्रकाशित किया था और अब इसे पुस्तक के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। पुस्तक में लहसुन बादशाह का परिचय दिया गया है, जो भारतीय समाज के लिए एक अद्भुत व्यक्ति हैं। लेखक ने लहसुन के उपयोग के फायदों को साझा किया है और पाठकों को इसे अपने जीवन में अपनाने की प्रेरणा दी है। इस प्रकार, पाठ में स्वामी सत्यदेव जी के योगदान और लहसुन बादशाह की कहानी के माध्यम से स्वास्थ्य के महत्व को उजागर किया गया है।
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