हिंदी की प्रतिनिधि कहानियाँ | Hindi ki Pratinidhi Kahaniyan

By: सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन - Sachchidananda Hirananda Vatsyayana


दो शब्द :

यह पाठ "हिन्दी की प्रतिनिधि कहानियाँ" संग्रह के बारे में है, जिसे सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन और कृष्णचन्द्र शर्मा द्वारा संपादित किया गया है। यह संग्रह होमवती देवी की स्मृति में प्रस्तुत किया गया है और इसका उद्देश्य साहित्य निर्मात्री की याद में अन्य लेखकों के सहयोग से संसाधन जुटाना है। प्रकाशकीय में बताया गया है कि इस संग्रह के दो मुख्य उद्देश्य हैं। पहला, यह एक संस्था के माध्यम से तैयार किया गया है, जिससे साहित्य निर्मात्री की स्मृति को सुरक्षित रखा जा सके। दूसरा, यह हिंदी कहानी का एक निरादर प्रतिनिधि संग्रह है, जिसमें कहानी की पाश्चात्य और भारतीय परंपरा का संक्षिप्त विवेचन किया गया है। संग्रह में विभिन्न प्रकार की कहानियाँ शामिल की गई हैं, और यह कोशिश की गई है कि ये कहानियाँ अत्यधिक परिचित न हों। कहानी के उद्गम और परंपरा पर चर्चा की गई है। यह बताया गया है कि कहानी मानव सभ्यता के आरंभ से चली आ रही है और यह सभी वर्गों और जातियों में सुनाई जाती है। बचपन में सुनी गई कहानियाँ व्यक्ति के विकास और उनके व्यक्तित्व पर स्थायी प्रभाव डालती हैं। कहानी का एक सामान्य अर्थ में उपयोग किया गया है, और इसके प्रारंभिक स्रोत भारतीय प्राचीन साहित्य में मिलते हैं। आधुनिक कहानी की पाश्चात्य परंपरा का उल्लेख करते हुए बताया गया है कि इसका विकास लगभग डेढ़ सौ वर्ष पहले हुआ। अमेरिका के लेखक एडगर एलन पो को आधुनिक कहानी का जनक माना गया है, जिनकी कहानियाँ रहस्य और रोमांच से भरी होती थीं। इसके बाद फ्रांसीसी और अंग्रेजी लेखकों ने भी कहानी में योगदान दिया, जिसमें एंटन चेखोव जैसे रूसी लेखक की कहानियाँ उल्लेखनीय हैं। अंत में, हिंदी में आधुनिक कहानी की परंपरा और उसके विकास की चर्चा की गई है, जो बीसवीं सदी की शुरुआत से शुरू होती है। इस प्रकार, यह पाठ कहानी के ऐतिहासिक और साहित्यिक महत्व को उजागर करता है और हिंदी साहित्य में उसकी स्थिति पर प्रकाश डालता है।


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