न्यायसिद्धान्तमुक्तावली | Nyaya Siddhanta Muktavali

- श्रेणी: Vedanta and Spirituality | वेदांत और आध्यात्मिकता साहित्य / Literature
- लेखक: गजानन शास्त्री - Gajanan Shastri
- पृष्ठ : 453
- साइज: 33 MB
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दो शब्द :
इस पाठ में न्यायसिद्धान्तमुक्तावली नामक ग्रंथ की व्याख्या का विवरण किया गया है, जिसे श्री गजानन शास्त्री मुसलगावकर ने हिंदी में प्रस्तुत किया है। ग्रंथ न्याय और तर्कशास्त्र के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है। लेखक ने इस कार्य को छात्र-छात्राओं की कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए सरल और स्पष्ट भाषा में लिखा है ताकि वे आसानी से समझ सकें। पुस्तक में न्यायसिद्धान्त के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से समझाया गया है, और कठिन शब्दावली को सरल रूप में प्रस्तुत किया गया है। यह व्याख्या छात्रों और अध्यापकों के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो सकती है, क्योंकि यह पारिभाषिक शब्दों और उनके अर्थ को स्पष्ट करती है। लेखक ने यह भी उल्लेख किया है कि इस ग्रंथ की पढ़ाई करने से न्याय और तर्कशास्त्र के अन्य विषयों को समझने में भी सहायता मिलती है। भारतीय दर्शन की व्यापकता और उसकी विभिन्न शाखाओं के विचारों का समावेश भी इस पाठ में किया गया है, जहां विभिन्न विचारों के बीच संवाद एवं समीक्षा की प्रक्रिया का महत्व बताया गया है। इस व्याख्या का उद्देश्य है कि छात्रों को न्यायसिद्धान्तमुक्तावली के अध्ययन में आने वाली कठिनाइयों का समाधान प्रदान करना और उन्हें इस ग्रंथ के माध्यम से न्याय और तर्कशास्त्र के मूल सिद्धांतों को अच्छी तरह से समझने में मदद करना है। लेखक ने इस कार्य में अपने गुरुजनों की प्रेरणा और आशीर्वाद का भी उल्लेख किया है, जिससे यह कार्य संभव हो सका। इस प्रकार, यह पाठ न्यायसिद्धान्तमुक्तावली की हिंदी में व्याख्या की महत्ता और इसकी उपयोगिता पर प्रकाश डालता है।
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