जैन वाणी ( जैन आगम -साहित्य) | Jain Vani (Jain Agam Sahitya)

- श्रेणी: जैन धर्म/ Jainism धार्मिक / Religious
- लेखक: धर्मचंद जैन - Dharmchand Jain
- पृष्ठ : 568
- साइज: 30 MB
- वर्ष: 1942
-
-
Share Now:
दो शब्द :
इस पाठ में जलगाँव स्थित "रतनलाल सी. वाफना ज्वेलर्स" के आभूषणों का वर्णन किया गया है। यहाँ सोने और चांदी के विभिन्न प्रकार के अलंकारों की विस्तृत श्रृंखला उपलब्ध है, जिसमें कुंदन-जड़ाव, मीनाकारी, ऑक्साइड, पॉलिश और कास्टिंग जैसे विभिन्न शिल्प शामिल हैं। ज्वेलर्स ने नए और आकर्षक डिज़ाइन प्रस्तुत किए हैं, जो कला और कारीगरी की दृष्टि से उत्कृष्ट हैं। इसके अलावा, गहनों की होलसेल बिक्री की सेवा भी शुरू की गई है, जिससे व्यापारियों को लाभ होगा। पाठ में रतनलाल सी. वाफना ज्वेलर्स के संपर्क विवरण भी दिए गए हैं, जिसमें फोन नंबर शामिल हैं। इसके बाद, भगवान महावीर के 2600वें जन्म-कल्याणक महोत्सव का उल्लेख है, जिसमें जैनागम साहित्य पर एक विशेषांक प्रकाशित करने की सूचना दी गई है। इस विशेषांक में जैन धर्म के आगमों का परिचय दिया गया है, जो आध्यात्मिक और धार्मिक अध्ययन में रुचि रखने वालों के लिए महत्वपूर्ण है। आगमों के अध्ययन के महत्व को रेखांकित किया गया है, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद करते हैं। पाठ में आगमों की भाषा, उनके प्रमाण और उनके अध्ययन के लाभ के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है, जिससे पाठक जैन धर्म के सिद्धांतों और उनके सामाजिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक पहलुओं को समझ सकें। संक्षेप में, यह पाठ ज्वेलरी व्यवसाय और जैनागम साहित्य के महत्व को उजागर करता है, और पाठकों को इन दोनों विषयों में गहराई से समझने के लिए प्रेरित करता है।
Please share your views, complaints, requests, or suggestions in the comment box below.