यथासंभव | Yathasambhav

- श्रेणी: कहानियाँ / Stories साहित्य / Literature
- लेखक: शरद जोशी - Sharad Joshi
- पृष्ठ : 445
- साइज: 16 MB
- वर्ष: 1960
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दो शब्द :
इस पाठ में शरद जोशी ने व्यंग्य के माध्यम से भारतीय समाज की समस्याओं, विशेषकर गरीबी और साहित्यिक परिदृश्य पर विचार किया है। लेखक ने अपनी रचनाओं के संकलन के संदर्भ में लिखा है कि कैसे उन्होंने वर्षों से लेखन किया है और इसे एक प्रक्रिया के रूप में देखा है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया है कि साहित्य का मुख्य विषय हमेशा गरीबी रहा है और इसके समाधान के बारे में बात करने वाले लोग कभी यह नहीं सोचते कि यदि गरीबी समाप्त हो जाए, तो लेखन का विषय क्या होगा। जोशी ने गणेश जी और चूहे के माध्यम से एक संवाद स्थापित किया है, जिसमें चूहा गणेश जी से अनाज और उसके वितरण के बारे में बात करता है। वह यह बताता है कि चूहों के कारण देश का कितना अनाज बर्बाद होता है और यह एक राष्ट्रीय समस्या है। गणेश जी चूहे को समझाते हैं कि साहित्यकारों की सोच केवल अपने हितों तक सीमित होती है, जबकि वास्तविकता में आम आदमी की जरूरतें और समस्याएं कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं। इस प्रकार, पाठ में जोशी ने व्यंग्यात्मक शैली में भारतीय समाज की जटिलताओं और साहित्य की भूमिका पर गहरी टिप्पणी की है, यह दिखाते हुए कि कैसे साहित्य और लेखक अक्सर अपनी सुविधाओं के घेरे में रहते हैं, जबकि आम आदमी की समस्याओं को नजरअंदाज किया जाता है।
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