जय सोमनाथ | Jay Somnath

By: कन्हैयालाल - Kanhaiyalal
जय सोमनाथ | Jay Somnath by


दो शब्द :

इस पाठ में लेखक कन्हैयालाल मुंशी ने सोमनाथ के मंदिर और उसके ऐतिहासिक महत्व का वर्णन किया है। उन्होंने इस विषय में अपनी रुचि की शुरुआत एक अंग्रेजी मासिक पत्रिका में लिखे लेख "सोमनाथ की जीत" से बताई। लेखक ने यह कथा गुजरात के सुल्तान महमूद के आक्रमण और उस समय की सामाजिक-राजनीतिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए लिखी है। लेखक ने महमूद के आक्रमण के संदर्भ में कई ऐतिहासिक तथ्यों और मुस्लिम इतिहासकारों के दृष्टिकोण का उल्लेख किया है। उन्होंने इस बात पर बल दिया है कि भारतीय इतिहास में इस आक्रमण का कोई ठोस उल्लेख नहीं है और मुस्लिम इतिहासकारों की कुछ दावों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं। इस कथा का मुख्य उद्देश्य महमूद के आक्रमण का चित्रण नहीं, बल्कि गुजरात के प्रतिरोध और सोलंकी राजाओं के वीरता का वर्णन करना है। लेखक का मानना है कि गुजरात की वीरता, भक्ति और संघर्ष के बिना, महमूद का आक्रमण सफल नहीं हो पाता। इसके अलावा, उन्होंने पाशुपतमत और उसके विभिन्न शाखाओं का भी उल्लेख किया है, जो उस समय के धार्मिक और सांस्कृतिक परिदृश्य को समझाने में मदद करता है। पाठ में भक्तों की यात्रा का वर्णन, सोमनाथ का मंदिर, और वहां की सामाजिक स्थितियों का विस्तार से उल्लेख किया गया है, जिससे उस समय की धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक धरोहर की झलक मिलती है। इस प्रकार, यह पाठ सोमनाथ की ऐतिहासिकता, सांस्कृतिक महत्व और उस समय की गुजरात की स्थिति को उजागर करता है, साथ ही लेखक के व्यक्तिगत दृष्टिकोण को भी प्रस्तुत करता है।


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