दीक्षा | Diksha by


दो शब्द :

इस पाठ में लेखक ने बांग्लादेश में पाकिस्तान की सेना द्वारा किए जा रहे अत्याचारों का वर्णन किया है। वह उस समय की घटनाओं के संदर्भ में रामायण की कथा को जोड़ते हैं और यह सवाल उठाते हैं कि क्या यह अन्याय केवल एक संयोग है या कुछ और। लेखक ने अपने मन में उठ रहे प्रश्नों का उल्लेख किया है, जैसे कि बुद्धिजीवियों की हत्या, समाज में व्याप्त राक्षसी प्रवृत्तियाँ, और रामायण के पात्रों के बीच संबंधों का विश्लेषण। लेखक ने रामायण की घटनाओं की छानबीन करते हुए यह पाया कि राम, लक्ष्मण और भरत के बीच के संबंध और उनकी उम्र के बारे में कई प्रश्न उठाते हैं। उन्हें यह समझ में नहीं आता कि कैसे राम और लक्ष्मण की पत्नी की अनुपस्थिति में राम का वनवास होता है। इसके अलावा, वह सीता के चरित्र और उसके त्याग के संदर्भ में भी सवाल उठाते हैं। इस प्रकार, लेखक ने रामायण के पात्रों और घटनाओं को अपने समय की सामाजिक और राजनीतिक परिस्थितियों के साथ जोड़ते हुए एक नई दृष्टि प्रस्तुत की है। वह यह दर्शाना चाहते हैं कि रामायण केवल एक धार्मिक कथा नहीं है, बल्कि अन्याय और संघर्ष के खिलाफ एक प्रेरणा भी है। लेखक का उद्देश्य चार स्वतंत्र उपन्यासों के रूप में राम-कथा को प्रस्तुत करना है, जिसमें यह पहला उपन्यास है। वह पाठकों को यह स्वतंत्रता देते हैं कि वे इसे एक कृति मानकर या चार अलग-अलग उपन्यासों के रूप में देख सकते हैं।


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