राजस्थानी लोक गीत | Rajasthani Lok Geet

- श्रेणी: Cultural Studies | सभ्यता और संस्कृति संगीत / Music
- लेखक: पुरुषोत्तमलाल मेनारिया - Purushottamlal Menariya
- पृष्ठ : 226
- साइज: 6 MB
- वर्ष: 1968
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दो शब्द :
राजस्थानी लोकगीतों का अध्ययन उनकी मौलिकता और सांस्कृतिक धरोहर को समझने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह लोकगीत जनता के स्वाभाविक भावनाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनका उद्भव सुख-दुख, हर्ष-शोक जैसी विभिन्न अनुभूतियों के परिणामस्वरूप हुआ है। राजस्थान की प्राचीन सभ्यता और संस्कृति के जटिल ताने-बाने को समझने के लिए इन गीतों का अध्ययन आवश्यक है। राजस्थान, जो प्राचीनकाल से ही एक साहित्य-समृद्ध क्षेत्र रहा है, में विभिन्न मानव जातियों का आगमन होता रहा है, जिससे यहाँ की संस्कृति और साहित्य पर गहरा प्रभाव पड़ा है। यहां की प्राकृतिक विविधता भी लोकगीतों की धारा को प्रभावित करती है। राजस्थानी लोकगीतों में विभिन्न अवसरों, त्योहारों और धार्मिक अनुष्ठानों के संदर्भ में गाए जाने वाले गीतों की भरपूरता है, जो मानवीय भावनाओं और सामाजिक जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हैं। इन गीतों में राजस्थानी समाज की परंपराओं, रीति-रिवाजों, त्यौहारों, और जनजीवन का जीवंत चित्रण मिलता है। ये गीत न केवल सुख-दुख के क्षणों में गाए जाते हैं, बल्कि श्रम और सामाजिक कार्यों में भी इनका महत्वपूर्ण स्थान होता है। हर कार्य, जैसे कि खेती, पशुपालन, या घरेलू कार्य, लोकगीतों के बिना अधूरा लगता है। राजस्थानी लोकगीतों का महत्व इस बात में है कि वे प्राचीन वैदिक तत्वों को भी अपने में समेटे हुए हैं, जिससे हमारे सांस्कृतिक इतिहास का पता चलता है। हालाँकि, राजस्थानी लोकगीतों का अध्ययन और संग्रहण अभी भी अधूरा है। समय के साथ, ये गीत विस्मृति की ओर बढ़ रहे हैं, और इसे संरक्षित करने की आवश्यकता है। इस प्रकार, राजस्थानी लोकगीत न केवल सांस्कृतिक धरोहर का अंश हैं, बल्कि वे हमारी पहचान, इतिहास और समाज के विभिन्न पहलुओं की गहरी समझ प्रदान करते हैं। इनका संरक्षण और अध्ययन भविष्य की पीढ़ियों के लिए अत्यंत आवश्यक है।
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