पाकशास्त्र | Pakshastra by


दो शब्द :

इस पाठ में एक घरेलू परिदृश्य का वर्णन किया गया है, जिसमें रूपवती नाम की एक महिला अपने छोटे भाई के लिए भोजन तैयार करने की कोशिश कर रही है। सावन के महीने में शाम का समय है और मौसम भी सुहावना है। रूपवती की माता का निधन हो चुका है और पिता बाहर यात्रा पर हैं। घर में केवल भाई है, जो भोजन के लिए लौटने वाला है। रूपवती को अपने भाई के लिए मनपसंद खाना बनाने की चिंता है। वह सोचती है कि अगर वह ऐसा खाना बनाएगी जो उसके भाई को पसंद नहीं आएगा, तो वह नाराज हो जाएगा। इस कारण वह भोजन बनाने में देरी कर रही है। जब भाई लौटता है, तो रूपवती बताती है कि उसने अभी तक कुछ नहीं बनाया है क्योंकि उसे अपने भाई की पसंद का इंतजार था। भाई उसे कहता है कि उसे जो भी पसंद हो, वही बना सकती है। हालांकि, भाई की भूख लगने लगती है, और रूपवती छोटे भाई को जगाकर उसे भी खाना खिलाने की कोशिश करती है। इस बीच, भाई की तबीयत बिगड़ने लगती है और उसे पेट में दर्द और बेचैनी महसूस होती है। यह स्थिति रूपवती के लिए चिंता का विषय बन जाती है, और वह सोचती है कि उसके भाई को किसी गंभीर बीमारी का सामना करना पड़ सकता है। कुल मिलाकर, यह पाठ घर के भीतर के रिश्तों, महिला की जिम्मेदारियों और स्वास्थ्य के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है।


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