हमारी कुलदेवियाँ | Hamari Kuldeviyaan

By: रघुनाथ प्रसाद तिवारी 'उमद्र' - Raghunath Prasad Tiwari 'Umdar'
हमारी कुलदेवियाँ  | Hamari Kuldeviyaan by


दो शब्द :

इस पाठ में पारीक जाति के इतिहास और उनके धार्मिक विश्वासों का वर्णन किया गया है। लेखक रघुनाथ प्रसाद तिवाड़ी ने ब्रह्मा, विष्णु और शिव की शक्तियों के माध्यम से सृष्टि की रचना और उसे बनाए रखने की प्रक्रिया को समझाने का प्रयास किया है। उन्होंने यह बताया है कि सृष्टि का मूल कारण 'आद्या शक्ति' है, जो कि जगत की उत्पत्ति और प्रलय का कारण बनती है। लेखक ने प्रजापति और छंद के माध्यम से सृष्टि के आरंभ की चर्चा की है, जहां अंधकार के बीच से एक स्पंदन उत्पन्न हुआ। इस स्पंदन से सृष्टि का विकास हुआ और यह शक्ति सभी वस्तुओं में विद्यमान है। उन्होंने शक्ति के विभिन्न रूपों का उल्लेख किया है और यह बताया है कि शक्ति के बिना ईश्वर भी निष्क्रिय हैं। देवी दुर्गा के नौ रूपों का भी वर्णन किया गया है, जिसे नवदुर्गा कहा जाता है, और उनके विभिन्न स्वरूपों एवं शक्तियों का महत्व बताया गया है। इन सबके माध्यम से लेखक ने यह विचार प्रस्तुत किया है कि सृष्टि की हर वस्तु में शक्ति का निवास है और यह शक्ति ही जगत के हर पहलू को संचालित करती है। अंततः, यह पाठ पारीक जाति के अंतर्गत उनकी धार्मिक मान्यताओं, देवी-देवताओं और सृष्टि के रहस्यों को उजागर करता है।


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