पूजन-पाठ- परदीप | Pujan-Paath-Pardeep

- श्रेणी: Vedanta and Spirituality | वेदांत और आध्यात्मिकता धार्मिक / Religious
- लेखक: हीरालाल जैन - Heeralal Jain
- पृष्ठ : 566
- साइज: 12 MB
- वर्ष: 1983
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दो शब्द :
यह पाठ "चातवा सस्करण" के संदर्भ में है, जिसमें पूजन-पाठ और अन्य धार्मिक गतिविधियों का महत्व बताया गया है। पाठ में विभिन्न धार्मिक ग्रंथों और व्यक्तियों के प्रति श्रद्धा व्यक्त की गई है। इसमें उल्लेखित है कि यह ग्रंथ लोगों के बीच बहुत सराहा गया है और इसका मूल्य भी रखा गया है। पाठ में जिनेन्द्र देव के गुणों और उनके कल्याणकारी प्रभावों का वर्णन किया गया है। यह बताया गया है कि जिनेन्द्र देव की पूजा से जीवन में सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है। पाठ में विभिन्न श्लोक हैं जो धार्मिक अनुष्ठानों और जिनेन्द्र देव के गुणों का गुणगान करते हैं। इसमें यह भी कहा गया है कि जिनकी पूजा और ध्यान करने से मनुष्य दुष्ट कर्मों से बच सकता है और अपने जीवन में उच्चता प्राप्त कर सकता है। पाठ का उद्देश्य लोगों को प्रेरित करना है कि वे धार्मिकता और जिनेन्द्र देव की उपासना करें ताकि उनका जीवन सफल और सुखमय हो सके। इसके अतिरिक्त, पाठ में जिनेन्द्र देव के प्रति भक्ति और श्रद्धा व्यक्त करने वाले भजन और स्तोत्र भी शामिल हैं, जो श्रोताओं को ध्यान और साधना के लिए प्रेरित करते हैं। अंतिम रूप से, यह पाठ मानवता के कल्याण के लिए धर्म और धार्मिक आचार-व्यवहार के महत्व को उजागर करता है।
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