चंद्रकांता | Chandrakanta

By: अज्ञात - Unknown
चंद्रकांता | Chandrakanta by


दो शब्द :

चंद्रकांता और तेजसिंह की बातचीत से शुरू होता है, जहाँ वीरेंद्रसिंह अपनी प्रेमिका चंद्रकांता के प्रति अपनी भावनाएँ व्यक्त कर रहा है। वह अपने दोस्त तेजसिंह से यह कहता है कि वे दोनों एक-दूसरे से प्रेम करते हैं, लेकिन उनके राज्यों के बीच दूरी और चंद्रकांता के पिता द्वारा लगाए गए कड़े पहरे उनकी मुलाकात में बाधा डालते हैं। तेजसिंह ने बताया कि क्रूरसिंह, जो चंद्रकांता पर मोहित है, उनकी प्रेम कहानी के बारे में जानता है और इसलिए सुरक्षा बढ़ा दी गई है। तेजसिंह यह भी बताता है कि उसे पहले क्रूरसिंह के ऐयारों को पकड़ना होगा ताकि वे सुरक्षित रूप से चंद्रकांता से मिल सकें। विजयगढ़ में क्रूरसिंह अपने ऐयारों के साथ योजनाएँ बना रहा है, ताकि वह वीरेंद्रसिंह और तेजसिंह को पकड़ सके और अपनी योजनाओं को अमल में ला सके। वह यह सोचता है कि चंद्रकांता को अपने पास लाने के लिए उसे पहले वीरेंद्रसिंह को खत्म करना होगा। उसके ऐयार नाजिम और अहमद उसे इस कार्य में मदद देने के लिए तैयार हैं, और वे सभी मिलकर एक योजना बनाते हैं। चंद्रकांता, अपनी सखियों चपला और चंपा के साथ बाग में टहल रही है। वह वीरेंद्रसिंह के बारे में सोचते हुए उदास है। चपला, जो चंद्रकांता की सखी है, उसे खुश करने की कोशिश करती है, लेकिन चंद्रकांता की चिंता उसकी प्रेमिका से दूर होने की है। चंपा, जो असल में नाजिम है, चंद्रकांता के पास आती है, लेकिन चपला को उस पर संदेह होता है। चपला अपनी चालाकी से चंपा को बेहोश कर देती है और उसके असली रूप का खुलासा करती है। इस तरह, कहानी में प्रेम, धोखा, और चालाकी के तत्व समाहित हैं, जो आगे की घटनाओं को रोचक बनाते हैं। चंद्रकांता और वीरेंद्रसिंह के बीच की प्रेम कहानी और क्रूरसिंह की योजनाएँ मुख्य केंद्र ब


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