ग्रहणी रोग मैं विविध कलप | Grahani Rog Mein Vividh Kalp

By: अज्ञात - Unknown
ग्रहणी रोग मैं विविध कलप | Grahani Rog Mein Vividh Kalp by


दो शब्द :

इस पाठ में दही और उससे बने तक्र (छाछ) के औषधीय गुणों और उपयोग के बारे में जानकारी दी गई है। दही को उबालने और उसके बाद उसे कपड़े से लटकाकर पानी निकालने की प्रक्रिया का वर्णन किया गया है। आयुर्वेद के अनुसार, दही कई बीमारियों में लाभकारी होता है, जैसे कि अरुचि, जुकाम, मूत्रकृच्छ, और ग्रहणी रोग। ग्रहणी रोग की प्रारंभिक अवस्था में दही का सेवन लाभदायक होता है, और जब रोगी की स्थिति गंभीर होती है, तब हिंगुल रसायन के साथ दही का उपयोग किया जाता है। तक्र को दही से मथकर तैयार किया जाता है, जिसमें कई औषधीय गुण होते हैं जैसे कि यह लघु, अग्निदीपक और कफ-वात नाशक होता है। पाठ में तक्र के विभिन्न गुणों का भी उल्लेख किया गया है, जैसे कि यह पाचन क्रिया को सुधारता है, रक्त को शुद्ध करता है, और शरीर की शक्ति को बढ़ाता है। इसे तैयार करने के लिए गाय या बकरी के दूध का उपयोग किया जाता है। दही जमाने की प्रक्रिया में ध्यान रखने योग्य बातें भी बताई गई हैं, जैसे कि दूध को सही तापमान पर गर्म करना और दही जमाने के लिए उपयुक्त पात्र का उपयोग करना। अंत में, पाठ में यह भी कहा गया है कि तक्र का सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है और यह कई रोगों को ठीक करने में सहायक है। इसके सेवन से शरीर में ऊर्जा आती है और रोग प्रतिकारक क्षमता बढ़ती है।


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