सवाधयाय संदोहा | Swadhyaya Sandoh

By: स्वामी विवेकानंद - Swami Vivekanand


दो शब्द :

इस पाठ का सारांश इस प्रकार है: यह पाठ 'स्वाध्याय सन्दोह' ग्रंथ के प्रकाशन की प्रक्रिया और उसके महत्व पर केंद्रित है। स्वामी वेदानन्द ने इस ग्रंथ को प्रकाशित करने का निर्णय लिया था, जो पहले ही पाठकों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय था। पहले संस्करण की मांग के कारण, इसके पुनः प्रकाशन की आवश्यकता महसूस की गई। हालांकि, कागज की कमी और अन्य बाधाओं के कारण इसमें कुछ विलंब हुआ। ग्रंथ में विभिन्न धार्मिक और आध्यात्मिक विषयों को शामिल किया गया है, जिसमें उपनिषद, मनुस्मृति, और स्वामी दयानन्द के विचार शामिल हैं। पाठ में यह भी उल्लेख किया गया है कि स्वामी जी ने साधारण लोगों के लिए इस ज्ञान को सुलभ बनाने का प्रयास किया। ग्रंथ का उद्देश्य है कि लोग वेदों के ज्ञान को समझें और उसका पालन करें, क्योंकि यह उनके जीवन में शांति और समृद्धि लाने में सहायक हो सकता है। अंत में, लेखक ने स्वामी वेदानन्द के प्रति आभार व्यक्त किया है और इस पुस्तक की उपयोगिता के महत्व को रेखांकित किया है। इस प्रकार, यह पाठ स्वाध्याय सन्दोह ग्रंथ के प्रकाशन, उसके महत्व, और स्वामी वेदानन्द की शिक्षाओं को समर्पित है।


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