चतुथोवृत्ति | Chaturthavrtti

- श्रेणी: दार्शनिक, तत्त्वज्ञान और नीति | Philosophy
- लेखक: मैथिलीशरण गुप्त - Maithili Sharan Gupt
- पृष्ठ : 228
- साइज: 3 MB
- वर्ष: 1952
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दो शब्द :
इस पाठ में एक कथा प्रस्तुत की गई है जो भगवान बुद्ध के जीवन और उनके प्रवर्तन की ओर संकेत करती है। कहानी की शुरुआत एक थका-हारा पथिक एक गांव के कृषक के घर पर रात्रि विश्राम करने की इच्छा से करता है। कृषक और उसके परिवार वाले पथिक से भजन और कथा सुनना चाहते हैं, जिससे यह दिखता है कि लोग धार्मिकता और सांस्कृतिक गतिविधियों में रुचि रखते हैं। कहानी में भगवान बुद्ध की जीवनी का वर्णन किया गया है, जिसमें उनके जन्म, शिक्षा, और गृह त्याग का उल्लेख किया गया है। सिद्धार्थ (बुद्ध) का जन्म एक समृद्ध परिवार में हुआ था, लेकिन उन्होंने संसार की दुखों को देखकर त्याग का मार्ग अपनाया। उन्होंने कठोर तपस्या की, लेकिन जब उन्हें लगा कि यह मार्ग सही नहीं है, तो उन्होंने मिताहार अपनाया और ध्यान की ओर अग्रसर हुए। कथा में सिद्धार्थ की तपस्या और उनके निर्वाण की प्रक्रिया का विवरण है। अंत में, सिद्धार्थ ने ज्ञान प्राप्त किया और धर्मचक्र का प्रवर्तन किया। वह अपने पिता और पत्नी यशोधरा को छोड़कर ज्ञान की खोज में निकले, और उनका संदेश सभी जीवों के लिए मुक्ति और सदाचार की ओर संकेत करता है। कहानी के अंत में, पाठक को यह सोचने पर मजबूर किया जाता है कि जीवन के वास्तविक अर्थ क्या हैं और संसार की चक्रीय गति से कैसे बाहर निकला जा सकता है। यह एक गहन विचार और आत्मा की खोज की कहानी है।
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