सामाजिक मानवशास्त्र की रुपरेखा | An outline of Social Anthropology

By: रवीन्द्र नाथ मुकर्जी - Ravindra Nath Mukarjee


दो शब्द :

इस पाठ का सारांश इस प्रकार है: यह पुस्तक सामाजिक मानवशास्त्र पर आधारित है, जिसे लेखक रवींद्रनाथ मुखर्जी ने लिखा है। पुस्तक का उद्देश्य सामाजिक मानवशास्त्र के विभिन्न पहलुओं को समझाना है, विशेषकर भारतीय संदर्भ में। लेखक ने इस पुस्तक को भारतीय विश्वविद्यालयों के स्नातक और स्नातकोत्तर विद्यार्थियों के लिए तैयार किया है, ताकि वे मानवशास्त्र और समाजशास्त्र की बुनियादी अवधारणाओं को समझ सकें। लेखक ने पुस्तक के पहले संस्करण से लेकर छठे संस्करण तक कई सुधार किए हैं, जिसमें नई सामग्री और प्रामाणिक तथ्यों का समावेश किया गया है। पुस्तक में मानवशास्त्र की परिभाषा, इसकी प्रकृति, अध्ययन के क्षेत्र, और इसकी विधियों का वर्णन किया गया है। इसके अलावा, सामाजिक मानवशास्त्र के उद्देश्यों, प्रजातियों, प्रजातिवाद, और भारतीय जनजातियों का अध्ययन भी शामिल है। लेखक ने यह भी उल्लेख किया है कि समाज और संस्कृति की गहरी समझ के लिए आदिम समाजों का अध्ययन आवश्यक है। इस पुस्तक के माध्यम से, लेखक ने सामाजिक मानवशास्त्र की जटिलताओं को सरलता से प्रस्तुत करने का प्रयास किया है, ताकि विद्यार्थी इसे आसानी से समझ सकें। पुस्तक में दिए गए उदाहरण भारतीय संदर्भ में हैं, जो इसे और भी प्रासंगिक बनाते हैं। इस प्रकार, यह पुस्तक सामाजिक मानवशास्त्र के अध्ययन के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन है, जो विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं के लिए उपयोगी साबित हो सकती है।


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