नागार्जुन - सम्पूर्ण उपन्यास वॉल. २ | Nagarjun: Sampoorna Upanyas Vol. 2

- श्रेणी: भारत / India साहित्य / Literature
- लेखक: नागार्जुन - Nagaarjun
- पृष्ठ : 567
- साइज: 36 MB
- वर्ष: 1964
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दो शब्द :
उपन्यास "नागार्जुन" की यह दूसरी खंड एक महत्वपूर्ण साहित्यिक और सामाजिक विमर्श प्रस्तुत करती है। इसमें लेखक नागार्जुन की कथा-लेखन यात्रा पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जिसमें उनके उपन्यासों का संग्रह और उनके सामाजिक परिवेश का अध्ययन शामिल है। डॉ. रामविनास शर्मा के विचारों के माध्यम से यह दर्शाया गया है कि नागार्जुन और अमृतलाल नागर जैसे लेखक प्रेमचंद की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए लोक-कल्याण के लिए महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। उपन्यास में नागार्जुन की बारह प्रमुख रचनाओं का उल्लेख किया गया है, जिनमें से कुछ मैथिली में हैं, जबकि अधिकांश हिंदी में लिखी गई हैं। इन रचनाओं के माध्यम से नागार्जुन ने समाज के विभिन्न पहलुओं का गहरा अध्ययन किया है, जिसमें ग्रामीण जीवन, संघर्ष, और जनचेतना का चित्रण किया गया है। उपन्यास की शुरुआत एक बारिश की रात से होती है, जिसमें पात्र मधुकान्त अपने दोस्त दुखमोचन के घर जाने की तैयारी कर रहा है। बारिश और उसके प्रभावों का विवरण कहानी के वातावरण को गहराई प्रदान करता है। यह दृश्य केवल प्राकृतिक स्थितियों का वर्णन नहीं करता, बल्कि पात्रों की मानसिकता और सामाजिक परिस्थितियों को भी उजागर करता है। इस प्रकार, "नागार्जुन" उपन्यास न केवल एक साहित्यिक कृति है, बल्कि यह हिंदी साहित्य में सामाजिक मुद्दों की गहरी समझ और दृष्टि को भी प्रस्तुत करता है। नागार्जुन की रचनाएं प्रेमचंद के लोक-कल्याणकारी दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हुए समकालीन समाज की जटिलताओं को उजागर करती हैं।
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