हनुमनचरित | Hanumancharit

- श्रेणी: Vedanta and Spirituality | वेदांत और आध्यात्मिकता साहित्य / Literature
- लेखक: सतीश चन्द्र उपाध्याय - Satish Chandra Upadhyay
- पृष्ठ : 220
- साइज: 10 MB
- वर्ष: 1997
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दो शब्द :
इस पाठ में श्री हनुमान के व्यक्तित्व और उनकी भक्ति का वर्णन किया गया है। हनुमान को भक्ति, सेवा और ब्रह्मचर्य का साकार रूप माना गया है। उनका व्यक्तित्व तेजस्वी और ओजस्वी है और वे ज्ञानियों में अग्रगण्य हैं। लेखक ने यह बताया है कि आधुनिक युग में भौतिकवाद के चलते मनुष्य ने आध्यात्मिक और मानवीय मूल्यों को भुला दिया है, इसलिए हनुमान के चरित्र और गुणों का अनुसरण करना आवश्यक है। लेखक ने हनुमान की निःस्वार्थ सेवा, साहस, और उनकी अद्भुत कार्यक्षमता की प्रशंसा की है, जिनमें उन्होंने सीता की खोज, लंकावहन, और लक्ष्मण के लिए संजीवनी बूटी लाना शामिल है। हनुमान की भक्ति और उनके गुणों का अनुसरण करने से समाज में नैतिकता, चरित्र, और आध्यात्मिक मूल्य स्थापित हो सकते हैं। आधुनिक समाज में मानवीय मूल्यों की आवश्यकता पर जोर देते हुए, लेखक ने हनुमान के गुणों को अपनाने की प्रेरणा दी है, ताकि युवाओं में साहस, निष्ठा, और कर्तव्यपालन की भावना जागृत हो सके। अंत में, लेखक ने यह कहा है कि हनुमान की उपासना से हम अपने आत्मस्वरूप को पहचान सकते हैं और समाज में शांति, सद्भाव और भाईचारे का वातावरण बना सकते हैं। हनुमान को मंगलमूर्ति और कल्याण का साकार रूप मानते हुए, लेखक ने पाठकों को उनके गुणों और आदर्शों का अनुसरण करने की प्रेरणा दी है।
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