संस्कृत वाङ्मय द्वितीय खंड | Sanskrit Vangmay khand 2

By: डॉ श्रीधर भास्कर वर्णेकर - Dr. Shreedhar Bhaskar Varnekar
संस्कृत वाङ्मय द्वितीय खंड  | Sanskrit Vangmay khand 2 by


दो शब्द :

इस पाठ में "संस्कृत वाडमय कोश" के द्वितीय खंड का विवरण प्रस्तुत किया गया है, जिसे डॉ. श्रीधर भास्कर वर्णेकर ने संपादित किया है। यह ग्रंथ भारतीय भाषा परिषद द्वारा प्रकाशित किया गया है और इसमें संस्कृत साहित्य, संस्कृति, और भाषाई ज्ञान का समावेश किया गया है। इस कोश का उद्देश्य संस्कृत के विशाल वाडमय को एकत्रित करना और इसे सरलता से प्रस्तुत करना है, ताकि पाठक इसे समझ सकें और इसका लाभ उठा सकें। पाठ में संस्कृत वाडमय की प्राचीनता और इसकी विकास यात्रा का उल्लेख किया गया है। विशेष रूप से यास्क द्वारा रचित "निरुक्त" को सबसे प्राचीन कोश माना गया है, जिसने शब्द और अर्थ के संबंध को स्पष्ट किया। इसके अलावा, अमरसिंह का "अमरकोश" और अन्य कोशों का भी उल्लेख किया गया है, जो शब्दकोश और ज्ञानकोश की परंपरा को आगे बढ़ाते हैं। पाठ में यह भी बताया गया है कि कैसे विभिन्न विद्वानों ने इस दिशा में कार्य किया और संस्कृत वाडमय के विकास में योगदान दिया। अंत में, डॉ. वर्णेकर के प्रयासों की सराहना की गई है, जिन्होंने इस महत्वपूर्ण कार्य को संपन्न करने में अपना समर्पण और ज्ञान लगाया। इस प्रकार, यह ग्रंथ संस्कृत वाडमय के समग्र विवेचन और उसके महत्व को उजागर करता है।


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