शतकत्रयाम | Shatakatrayam

By: भर्तृहरि - Bhartrahari
शतकत्रयाम | Shatakatrayam by


दो शब्द :

इस पाठ में "शतकत्रयम्" की विशेषताओं और इसके महत्व पर चर्चा की गई है। यह संस्कृत साहित्य का एक अनमोल रत्न है, जिसमें नीति, श्रृंगार, और वैराग्य से संबंधित 224 इलोकों का संकलन है। लेखक ने बताया है कि यह रचना पिछले बारह-तेरह सौ वर्षों से भारतीय समाज को प्रेरित करती आई है और इसकी लोकप्रियता अन्य साहित्यकारों द्वारा भी अपनाई गई है। इसमें नीति के 111, श्रृंगार के 100, और वैराग्य के 113 इलोक शामिल हैं। पाठ में यह भी उल्लेख किया गया है कि भर्तृहरि, जो इस ग्रंथ के रचयिता हैं, ने जीवन के विभिन्न पहलुओं का गहन अनुभव किया है और उनके विचार गहनता और सच्चाई से भरे हुए हैं। लेखक ने यह भी बताया है कि शतकत्रयम् का ललित भाषानुवाद इसे और भी महत्वपूर्ण बनाता है और इसे अधिक से अधिक पाठकों तक पहुँचाने का उद्देश्य है। पाठ में विभिन्न इलोकों के माध्यम से जीवन की व्यावहारिकता, नीति और मानव संबंधों की गहराई को समझाने का प्रयास किया गया है। संक्षेप में, शतकत्रयम् न केवल भारतीय साहित्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, बल्कि यह नीति, प्रेम और वैराग्य के संदर्भ में गहन विचार प्रस्तुत करता है, जो आज भी प्रासंगिक हैं।


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