वैदिक संस्कृत | Vedic Sanskrit

By: गोविन्दचन्द्र पाण्डेय - Govindchandra Pandey
वैदिक संस्कृत | Vedic Sanskrit by


दो शब्द :

इस पाठ में वैदिक संस्कृति और वेदों के महत्व पर चर्चा की गई है। भारतीय परंपरा में वेदों को अनादि और ईश्वरीय मानते हुए, इन्हें इतिहास और संस्कृति के अध्ययन में महत्वपूर्ण स्रोत समझा गया है। पाठ में महर्षि यास्क से लेकर सायण तक के विद्वानों द्वारा वेदों की विभिन्न व्याख्याओं का उल्लेख किया गया है, जो यह दर्शाता है कि वेदों की सही व्याख्या कठिन है। आधुनिक युग में वेदों पर लिखे गए ग्रंथों में उनकी आध्यात्मिक और सनातन अर्थ को अक्सर उपेक्षित किया गया है। पाठ में उल्लेख किया गया है कि पुरातात्विक खोजों की मदद से वेदों के इतिहास पक्ष का मूल्यांकन किया गया है। इसमें दयानंद, श्री अरविंद और मधुसूदन ओङ्ञा जैसे विद्वानों की व्याख्याओं पर भी चर्चा की गई है। वैदिक संस्कृति की परिभाषा और उसकी भारतीय सभ्यता में महत्ता को समझाने का प्रयास किया गया है। यह ग्रंथ वैदिक संस्कृति, धर्म, दर्शन और विज्ञान के विषय में आधुनिक और पारंपरिक दृष्टिकोणों का समन्वय प्रस्तुत करता है। लेखक ने यह स्पष्ट किया है कि वेदों का अध्ययन केवल ऐतिहासिक दृष्टि से नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और तात्त्विक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस प्रकार, पाठ का मुख्य उद्देश्य वैदिक संस्कृति के समग्र दृष्टिकोण को प्रस्तुत करना है, जिसमें विभिन्न पक्षों को एक साथ लाने की कोशिश की गई है।


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