अकबर की मृत्यु के समय का भारत | Akbar ki Mrityu ke Samay ka Bharat

By: ह-मोर्लैंड - W.H. Moreland
अकबर की मृत्यु के समय का भारत | Akbar ki Mrityu ke Samay ka Bharat by


दो शब्द :

इस पाठ में मुगलों के दरबारी जीवन और गुलामी की प्रथा का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया गया है। लेखक ने अकबर के दरबार का उल्लेख करते हुए बताया है कि वहां की शाही गृहस्थी में हजारों महिलाएं और उनके लिए सेवक होते थे। शाही शिविर में भी बड़ी संख्या में नौकर और सेवक काम करते थे। शहंशाह की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए दूर-दूर से वस्तुएं मंगवाई जाती थीं, जैसे कि पानी और भोजन। लेख में यह भी बताया गया है कि दरबार में हर प्रकार की मनोरंजन और खेल के लिए लोगों की नियुक्ति की जाती थी। मुगल सेना में हर सैनिक के पास कई सेवक होते थे। इस तरह की सेवकों की संख्या केवल सम्राट और उसके अधिकारियों तक सीमित नहीं थी, बल्कि आम लोग भी इस परंपरा का पालन करते थे। गुलामी की प्रथा का भी इस पाठ में उल्लेख किया गया है, जहां बताया गया है कि शहरी और देहाती गुलामी दोनों प्रथाएं भारत में प्रचलित थीं। शहरी गुलामी का संबंध विलासिता और तड़क-भड़क से था, जबकि देहाती गुलामी कृषि उत्पादन से जुड़ी थी। गुलामी की प्रथा हिंदू और मुस्लिम दोनों कानूनों में स्वीकृत थी और इसके तहत गुलामों की स्थिति वंशानुगत होती थी। लेखक ने उदाहरणों के माध्यम से यह दर्शाया है कि कैसे गुलामी की प्रथा भारत में लंबे समय से विद्यमान थी और यह सिर्फ मुगलों के समय तक सीमित नहीं थी। गुलामी के स्रोतों में बाहरी देशों से आयातित गुलाम भी शामिल थे, और भारतीय गुलामों की स्थिति विभिन्न कानूनी मान्यता के अधीन थी। इस प्रकार, पाठ में मुगलों के दरबारी जीवन की भव्यता और गुलामी की प्रथा के विभिन्न पहलुओं का समावेश किया गया है, जो भारतीय समाज में उस समय प्रचलित थे।


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