कुमार संभव का हिन्दी गद्य में भावार्थ- बोधक अनुवाद | Kumarsambhav ka Hindi Gadya mein Bhavarth - Bodhak Anuvad

- श्रेणी: साहित्य / Literature हिंदी / Hindi
- लेखक: महावीर प्रसाद द्विवेदी - Mahavir Prasad Dwivedi
- पृष्ठ : 174
- साइज: 8 MB
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दो शब्द :
इस पाठ में कालिदास के महाकाव्य कुमारसंभव का गद्यात्मक अनुवाद प्रस्तुत किया गया है। अनुवाद का उद्देश्य संस्कृत साहित्य को अधिक से अधिक पाठकों तक पहुँचाना और उनकी रचना की कल्पनाओं और भावनाओं को सरल भाषा में प्रस्तुत करना है। पाठ का आरंभ हिमालय पर्वत के वर्णन से होता है, जिसे पृथ्वी का प्रतीक माना गया है। यहाँ पर पृथु नामक राजा का उल्लेख है, जिसने गाय के दूध से रत्नों और औषधियों की प्राप्ति के लिए हिमालय को दुहा था। पाठ में पृथ्वी और हिमालय के बीच के संबंधों का विस्तार से वर्णन किया गया है, जिसमें हिमालय की उँचाई, उसके शिखरों की सुंदरता और वहाँ रहने वाले सिद्ध पुरुषों का भी उल्लेख है। इसके अलावा, पाठ में हिमालय की वन्यजीवों, विशेषकर हाथियों और शेरों के बीच होने वाली मुठभेड़ों का भी वर्णन किया गया है। पाठक को हिमालय की भव्यता और वहां की प्राकृतिक सुंदरता का अनुभव होता है। कुल मिलाकर, यह पाठ कालिदास की रचनाओं के महत्व को उजागर करते हुए, भारतीय संस्कृति, परंपरा और साहित्य के प्रति पाठकों में रुचि और श्रद्धा उत्पन्न करने का प्रयास करता है।
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