शुक्ल जैन रामायण | Shukl jain Ramayan

- श्रेणी: जैन धर्म/ Jainism धार्मिक / Religious हिंदू - Hinduism
- लेखक: पं. शुक्लचन्द्र - Pt. Shuklachandra
- पृष्ठ : 448
- साइज: 14 MB
- वर्ष: 1923
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दो शब्द :
इस पाठ का सारांश इस प्रकार है: यह पाठ रामायण के दूसरे संस्करण के प्रकाशन की सूचना देता है, जिसे पंडित प्रवर मुनि श्री शुक्लचन्द्र जी के द्वारा संपादित किया गया है। पाठ में उन महानुभावों का उल्लेख किया गया है जिन्होंने इस पुस्तक के प्रकाशन में योगदान दिया है। यह जैन रामायण भारतीय संस्कृति का परिचायक है और इसमें विभिन्न मानवीय संबंधों, जैसे माता-पिता, भाई-बहन, पति-पत्नी आदि के आदर्शों का वर्णन किया गया है। पाठ बताता है कि यह पुस्तक न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इसके अतिरिक्त, पाठ में जैन रामायण की विशेषताओं और इसके महत्व का उल्लेख किया गया है, जिसमें यह बताया गया है कि यह समाज के लिए एक महत्वपूर्ण धरोहर है। इसमें ऐतिहासिक और साहित्यिक तत्वों का सम्मिलन है, जो इसे और अधिक प्राणवान बनाता है। जैन रामायण के माध्यम से व्यक्ति के जीवन के सरल और जटिल समस्याओं के समाधान को समझाया गया है। पाठ के अंत में विभिन्न विषयों की सूची दी गई है, जिनमें तीर्थंकरों, चक्रवर्ती, और अन्य धार्मिक कथाओं का उल्लेख है। यह पाठ समाज को जैन रामायण के महत्व को समझाने और इसके अध्ययन को प्रोत्साहित करने का प्रयास है।
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