साहित्य और समाज पुस्तक पीडीऍफ़ में | Sahitya Aur Samaj Book in pdf

- श्रेणी: Blog and Articles | ब्लॉग और अनुच्छेद
- लेखक: विजयदान देथा - Vijaydan Detha
- पृष्ठ : 178
- साइज: 3 MB
- वर्ष: 1960
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दो शब्द :
इस पाठ में लेखक ने अपने बचपन के अनुभवों और उनकी शिक्षा की यात्रा पर विचार किया है। लेखक ने बताया है कि कैसे उनके बचपन के दिन पढ़ाई के प्रति जिज्ञासा और उत्साह से भरे थे। उन्होंने अपनी लेखन यात्रा के बारे में बताया कि कैसे समय के साथ उनके विचारों में बदलाव आया है। ये निबंध उनके व्यक्तिगत अनुभवों का संग्रह हैं, जिन्हें वे विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित कर चुके हैं। लेखक ने यह भी बताया कि उनके विचार पूरी तरह से उनके अपने नहीं हैं, बल्कि वे विभिन्न लेखकों के विचारों का हिस्सा हैं। उन्होंने यह स्पष्ट किया है कि साहित्य और भाषा केवल विचारों की अभिव्यक्ति का माध्यम हैं। भाषा के माध्यम से व्यक्ति सामाजिक ज्ञान और परंपरा को ग्रहण करता है, और इस ज्ञान के बिना व्यक्ति की मौलिकता अधूरी है। पाठ में यह भी दर्शाया गया है कि बच्चे अपनी संवेदनाओं और विचारों को व्यक्त करने के लिए भाषा का उपयोग कैसे करते हैं। बच्चे अपनी प्रारंभिक अवस्था में शब्दों और ध्वनियों के माध्यम से अपने अनुभवों को समझते हैं। लेखक ने यह भी बताया कि सुनना और बोलना, पढ़ना और लिखना, ये सभी एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और एक व्यक्ति के ज्ञान और चेतना के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लेखक ने निबंधों के माध्यम से विचारों के विकास, मौलिकता, और सामाजिक ज्ञान के महत्व पर जोर दिया है। उन्होंने यह भी बताया कि व्यक्तिगत अनुभव और सामाजिक ज्ञान का आपसी संबंध कैसे होता है। इस प्रकार, यह पाठ शिक्षा, भाषा और व्यक्ति के विकास की जटिलता को समझाने का प्रयास करता है।
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